सहज कृषि से उत्पादित तीन फिट लंबी लौकी
जागरण कार्यालय, बाजपुर: सहज कृषि तकनीक से हरसान के प्रेम सिंह बसेड़ा ने ढाई से तीन फिट लंबी लौकी का उत्पादन किया। तीन माह पूर्व पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी वैज्ञानिक डॉ. आरएच जैसवाल ने हरसान कपकोट में लौकी के बीच का वितरण किया था। बीज प्राप्त होने पर पूर्व सैनिक प्रेम सिंह बसेड़ा ने इन्हें चैतन्यमय होने के लिए रखे बीजों का रोपण करने के बाद इनमें लगातार चैतन्यमय पानी का छिड़काव किया। इसके परिणामस्वरूप लौकी के पांच बेलों पर अभी तक 100 से अधिक लौकी प्राप्त हुई। इनमें 15 लौकी ढाई से तीन फिट की लंबाई की है।
सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एचआर जैसवाल ने बताया कि ऐसे बीजों से अभी तक अधिकतम दो फिट तक की लौकी प्राप्त हुई है। पहली बार इनसे तीन फिट की लौकी प्राप्त हुई है, जो शोध का विषय है। सहजयोग की प्रेरणा माता निर्मला देवी ने बताया कि वाइव्रेसन्स (चैतन्य लहरियां) एक जीवंत प्रक्रिया है, जो प्रत्येक जीवंत चीजों पर प्रभाव डालती है। इससे पैदावार में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। गांव के अन्य किसानों ने भी वही बीज सामान्य तरीके से लगाये थे, परंतु किसी भी किसान के पास इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन नहीं हुआ। किसान प्रेम सिंह बसेड़ा ने बताया कि लौकी को उन्होंने गावं के रिश्तेदारों में भी वितरित किया। उन्होंने सब्जी को ज्यादा स्वादिष्ट व पौष्टिक बताया। अब वह सहज कृषि विधि का प्रयोग धान की खेती पर करने जा रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में भी पाया गया प्रभाव
कृषि के क्षेत्र में सहजयोग की चैतन्य लहरियों का प्रभाव विभिन्न स्थानों पर पाया गया है। महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर 2002 में मूंगफली की फसल सहज कृषि से 93 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि हुई। 2002 से 2004 तक फार्म हाउस न्यू सांगानेर रोड जयपुर में सहज कृषि से गेहूं की फसल में 25 से 30 प्रतिशत की वृद्धि गांव वगराना कोट पुतली के किसान अनिल यादव के यहां नींबू की कृषि से दोगुना उत्पादन। कृषि विश्वविद्यालय राहुरी महाराष्ट्र के प्रोफेसर डॉ. सेंगरी ने गेहूं व सूरजमुखी की फसलों से 10 गुना अधिक पैदावार प्राप्त की। साथ ही अनेक देशों में सहज कृषि पर अनुसंधान कार्य किए, जिनके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले।
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